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पित्र दोष के लक्षण कारण और उपाय i Pitri Dosh Or Upay

पंडित योगेशपारीक पितृ दोष जन्मपत्रिका में जब सूर्य और राहु की नवम भाव में युति हो तो पित्र दोष बनता है वैसे तो पित्र दोष बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्यतः जब सूर्य और राहु की युति किस भाव में हो रही है उससे संबंधित परिवार के संबंधी का पितृदोष माना जाता है जैसे पंचम भाव पुत्र का है और राहु और सूर्य का योग पंचम भाव में बन रहा है तो यह माना जाएगा कि आप के पुत्र  की मृत्यु के पश्चात उसका दोष है इसी प्रकार चतुर्थ भाव में है तो मां का द्वितीय भाव में तो भाई का और इसी प्रकार सब लोगों का ज्ञात किया जाता है ज्यादा जानकारी और अपनी जन्म कुंडली दिखाने के लिए संपर्क करें योगेश पारीक 9433571794 गुवाहाटी आसाम कामाख्या मंदिर जब परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में जातक की कुंडली में ...