मैने एक अनुभव किया जो आश्चर्यजनक है। बताने मे थोड़ी शर्म भी महसूस हो रही है। लेकिन यह कोई व्यंग्य भी नहीं है। मेरे एक सवाल उस समय उठा जब तीज के उपवास की बात हो रही थी। तो मैंने किसी माताओं बहनों से पूछा ये उपवास क्यों किया जाता है मुझे जवाब मिला पति की लम्बी उम्र के लिए कुछ समय सोचने के बाद मैंने सबसे पूछा कि तो हमारे मोहल्ले मे ही नहीं बल्कि मेरे जान पहचान या फिर गांव में स्त्री से पहले पुरुष का स्वर्गवास क्यों हो जाता हैं। जबकि भारतीय नारी पुरे वर्ष भर मे 365 दिन में 100 दिन तो पक्का पति की लम्बी उम्र की कामना करती है। ओर मुझे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि हमारे धर्म में कहीं हुई कोई भी बात असत्य नहीं है। तो कमी कहाँ है ? यह एक दिन का अनुष्ठान होता है जो पति की लम्बी उम्र ओर सुख शांति के लिए किया जाता है है ओर अनुष्ठान का नियम होता है जप तप नियम दान कर्म ओर हा यह सिर्फ माताओं बहनों के लिए नहीं पुरुषो के लिए भी हैं क्योंकि की पति और पत्नी दोनों जिस कार्य को परिणाम देते हैं ओर व्रत के नियम के साथ उस कार्य को हस्तक्षेप करने की शक्ति स्वयं ब्रह्मा जी मे भी नहीं है। व्रत करने का सही अर्थ यह होता है कि अपनी पसंद कोई वस्तु जिसके बिना हम नहीं रह सकते जो हमारी प्रत्येक दिन की आवश्यकता है उस वस्तु का त्याग ही व्रत होता है तो यह सिर्फ माताओं के लिए नहीं सभी भाइयों के लिए भी लागू होता है समाज में यह खुदारा ना जरूरी है और होना भी चाहिए आज मनुष्य इतना लालची हो गया है कि वह अपने पसंद की वस्तु को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है उस वस्तु को पाना चाहिए जो हमारे कल्याण के लिए हो लेकिन उस वस्तु का त्याग करना भी सीखना चाहिए जो हमारे लिए अच्छी नहीं है क्योंकि अति होना बहुत गलत है इसीलिए व्रत का सही मतलब यही है कि अपने पसंद की वस्तु का त्याग करना ही व्रत होता है मेने ये लिखा मेरा मकसद किसी के मन को दुखी करने का नहीं है सिर्फ एक शंका है जिसका उपाय आपको बताया है#YogeshPareek18
Welcome Bhagwati Kamkhya's Blogs नमस्कार यह ब्लॉग भगवती कामाख्या से सम्बंधित है मेरा नाम पंडित योगेश है हम कामख्या मंदिर में रहने के खाने की अनुष्ठान आदि की व्यवस्था करते है और जन्म कुंडली समाधान तथा तंत्र सम्बंधित समाधान भी किया जाता है ब्राह्मणो से हवन तथा शतचंडी आदि भी की जाती है
Friday, August 15, 2014
कजली तीज की कहानी
एक ब्राह्मण था उसकी लड़की की शादी हो गई तो उसका पिता भाद्रपद कृष्ण की काजली तीज को बेटी को सातु ओर सवा हाथ कसुमा भेजा किया करता था लेकिन कुछ समय बाद घर में गरीबी के कारण घर मे बेटी को देने के लिए सातु ओर सवा हाथ कसुमा नहीं था ब्राह्मण साहूकार के पास गया बोला मुझे सातु ओर सवा हाथ कसुमा चाहिए कृपया कर उधार देदो लेकिन साहूकार ने मना कर दिया मना करने पर ब्राह्मण साहूकार की दुकान में छीप गया ओर रात को सातु ओर सवा हाथ कसुमा निकाल कर साहूकार के सुबह दुकान खोलने का इन्तजार करने लगा ओर अन्दर बेठा "अठ इया बठ बिया आ काजली तीज धुक किया" बोल रहा था रास्ते से गुजर रहे लोगों ने सुना ओर साहूकार को बताया कि तुम्हारी दुकान मे चोर घुस गया साहूकार दुकान गया ओर देखा तो अन्दर तो अन्दर ब्राह्मण बैठा था साहूकार ने ब्राह्मण से कहा तुम चोर हो तो ब्राह्मण ने कहा नहीं देखो मुझे मात्र सातु ओर सवा हाथ कसुमा की जरूरत थी ओर मैंने इतना ही समान निकलना साहूकार को ब्राह्मण की बात पर विश्वास हो गया ओर बोला आज से तुम्हारी बेटी मेरी बेटी साहूकार ने ब्राह्मण को सातु ओर सवा हाथ कसुमा दे दिया ब्राह्मण प्रात: बेटी के पास गया और सातु ओर सवा हाथ कसुमा बेटी को दे दिया ओर बोला आज से अगर में या कोई भी पिता तीज पर नहीं पहुँचे तो कोई दोष नहीं है। सातु ओर सवा हाथ कसुमा अपने घर मे भी बना सकते। बोलो तीज माता की जय #yogeshpareek18
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कामाख्या शक्तिपीठ पूजन परिक्रमा और इतिहास
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