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Friday, August 15, 2014

कजली तीज की कहानी

एक ब्राह्मण था उसकी लड़की की शादी हो गई तो उसका पिता भाद्रपद कृष्ण की काजली तीज को बेटी को सातु ओर सवा हाथ कसुमा भेजा किया करता था लेकिन कुछ समय बाद घर में गरीबी के कारण घर मे बेटी को देने के लिए सातु ओर सवा हाथ कसुमा नहीं था ब्राह्मण साहूकार के पास गया बोला मुझे सातु ओर सवा हाथ कसुमा चाहिए कृपया कर उधार देदो लेकिन साहूकार ने मना कर दिया मना करने पर ब्राह्मण साहूकार की दुकान में छीप गया ओर रात को सातु ओर सवा हाथ कसुमा निकाल कर साहूकार के सुबह दुकान खोलने का इन्तजार करने लगा ओर अन्दर बेठा "अठ इया बठ बिया आ काजली तीज धुक किया" बोल रहा था रास्ते से गुजर रहे लोगों ने सुना ओर साहूकार को बताया कि तुम्हारी दुकान मे चोर घुस गया साहूकार दुकान गया ओर देखा तो अन्दर तो अन्दर ब्राह्मण बैठा था साहूकार ने ब्राह्मण से कहा तुम चोर हो तो ब्राह्मण ने कहा नहीं देखो मुझे मात्र सातु ओर सवा हाथ कसुमा की जरूरत थी ओर मैंने इतना ही समान निकलना साहूकार को ब्राह्मण की बात पर विश्वास हो गया ओर बोला आज से तुम्हारी बेटी मेरी बेटी साहूकार ने ब्राह्मण को सातु ओर सवा हाथ कसुमा दे दिया ब्राह्मण प्रात: बेटी के पास गया और सातु ओर सवा हाथ कसुमा बेटी को दे दिया ओर बोला आज से अगर में या कोई भी पिता तीज पर नहीं पहुँचे तो कोई दोष नहीं है। सातु ओर सवा हाथ कसुमा अपने घर मे भी बना सकते। बोलो तीज माता की जय #yogeshpareek18

कामाख्या शक्तिपीठ पूजन परिक्रमा और इतिहास

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