पंडित योगेशपारीक
पितृ दोष जन्मपत्रिका में जब सूर्य और राहु की नवम भाव में युति हो तो पित्र दोष बनता है वैसे तो पित्र दोष बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्यतः जब सूर्य और राहु की युति किस भाव में हो रही है उससे संबंधित परिवार के संबंधी का पितृदोष माना जाता है जैसे पंचम भाव पुत्र का है और राहु और सूर्य का योग पंचम भाव में बन रहा है तो यह माना जाएगा कि आप के पुत्र की मृत्यु के पश्चात उसका दोष है इसी प्रकार चतुर्थ भाव में है तो मां का द्वितीय भाव में तो भाई का और इसी प्रकार सब लोगों का ज्ञात किया जाता है
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जब परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में जातक की कुंडली में झलकता है।
पित्र दोष के लक्षण जब कोई जातक पितृदोष से प्रभावित होता है तो उसके घर में सुख शांति नहीं रहती और पति पत्नी के बीच झगड़ा रहना सास-ससुर से झगड़ा रहना और इससे प्रभावित जातक कि घर में कोई अहमियत नहीं रहती वह सही होने पर भी हमेशा गलत माना जाएगा इस प्रकार के लक्षण पित्र दोष के होते हैं जिस कारण प्रभावित जातक जीवन में अपने पथ पर चलने में कठिनाई होती है
पितृ दोष का उपाय किसी योग्य ब्राह्मण को घर में बुलाकर के गायत्री सवा लाख जप करवाएं और भागवत मूल पाठ और विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ करवाई यह एक सर्वोत्तम तरीका है जिससे थोड़े ही समय में पितृ दोष से निवारण हो जाता है
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