नवरात्रि स्थापन ओर पाठ विधि
अगर आप नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का संकल्प ले रहे तो इन नियमों का पालन जरूर करें, शीघ्र हो जायेगी हर इच्छा पूरी । श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ, चार वेद की तरह ही अनादि ग्रंथ है । सात सौ श्लोक वाली दुर्गा सप्तशती के 3 भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से 3 चरित्र हैं । प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय और बाकी सभी अध्याय उत्तम चरित्र में रखे गये हैं । अगर नौ दिनों तक श्रद्धा पूर्वक शुद्ध चित्त होकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भीषण से भीषण संकट भी दूर हो जाते हैं ।
दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले इन नियमों का पालन करने का मन बना ले, इस विधि से पाठ करेंगे तो शीघ्र ही पूर्ण शुभफल मिल जायेगा ।
1- सबसे पहले, गणेश पूजन, कलश पूजन,,नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन करें । श्रीदुर्गा सप्तशती की पुस्तक शुद्ध आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें ।
4- एक दिन में पूरा पाठ न कर सकें, तो एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करे । दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन में अगर पाठ न हो सके, तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें ।
5- श्रीदुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का नित्य पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय । श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नवारण मंत्र ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना अनिवार्य है ।
7- पाठ नित्य के बाद कन्या पूजन करना अनिवार्य है । श्रीदुर्गा सप्तशति का पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिये । दुर्गा सप्तशति के - पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना ज़रुर करना चाहिये ।
8- श्रीदुर्गा सप्तशती के प्रथम,मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से, सभी मनोकामना पूरी होती है।,इसे महाविद्या क्रम कहते हैं ।
9- दुर्गा सप्तशती के उत्तर,प्रथम और मध्य चरित्र के क्रमानुसार पाठ करने से, शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसे महातंत्री क्रम कहते हैं।