कामख्या मंदिर में किसी भी प्रकार के पूजन अनुष्ठान हेतु संपर्क करे हम रहने खाने की व्यवस्था करते है पंडित योगेश पारीक ९४३५५७१७९४

Monday, May 22, 2023

कामाख्या शक्तिपीठ पूजन परिक्रमा और इतिहास



मैंया ए रिद्धि दे सिद्धि दे अष्टनव निधि दे आरती लिरिक्स Mainya E Riddhi De Siddhi De Aarti Lyrics

मैंया ऐ 
रिद्धि दे
सिद्धि दे 
अष्टनव निधि दे 
वंश में वृद्धि दे वागवाणि
हृदय में ज्ञान दे 
चित में ध्यान दे
महा वरदान दे राजरानी 
अभयवरदान दे शंभुरानी ll  (1)

गुण सी रीत दे,
चरणों में प्रति दें
जग में जीत दे 
श्री भवानी 
दुख: को दूर करो
सुख भरपुर करो 
भयचिंता दुर करो राजराणी ।। (2)

ज्योति जागती भवानी ब्रह्मा विष्णु कि वरदानी
ध्यावे गुण और ज्ञानी मैया सबके कारज सारती 

 मैया जिन पे हो प्रसन्न
उनके काटे भव फंद

होवे सकल आनंद बोलो मैया जी की आरती

मैया ऐं......


maiya e ridhi de
sidhide ashtanav nidhi de 
vansh mein vrddhi de, 
vaagavaani,
hrday mein gyaan de ,
chit mein dhyaan de.
maha varadaan de raajaraanee 
abhayavaradaan de shambhuraanee 1

gun see reet de,
charanon mein prati den.
jag mein jeet de 
shree bhavaanee ..
dukh: ko door karo.
sukh bharapur karo .
bhayachinta dur karo raajaraanee .. (2)

jyoti jaagatee bhavaanee brahma vishnu ki varadaanee
dhyaave gun aur gyaanee maiya sabake kaaraj saaratee 

on maiya jinape ho prasann
unake kaate bhav phand

hove sakal aanand bolo maiya jee kee aaratee

maiya e 

Tuesday, February 1, 2022

गीता प्रेस दुर्गा सप्तशती पाठ Geeta press Durga Saptsati Path

नवरात्रि स्थापन ओर पाठ विधि 


अगर आप नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का संकल्प ले रहे तो इन नियमों का पालन जरूर करें, शीघ्र हो जायेगी हर इच्छा पूरी । श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ, चार वेद की तरह ही अनादि ग्रंथ है । सात सौ श्लोक वाली दुर्गा सप्तशती के 3 भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से 3 चरित्र हैं । प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय और बाकी सभी अध्याय उत्तम चरित्र में रखे गये हैं । अगर नौ दिनों तक श्रद्धा पूर्वक शुद्ध चित्त होकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भीषण से भीषण संकट भी दूर हो जाते हैं ।

durga saptashati

दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले इन नियमों का पालन करने का मन बना ले, इस विधि से पाठ करेंगे तो शीघ्र ही पूर्ण शुभफल मिल जायेगा ।

1- सबसे पहले, गणेश पूजन, कलश पूजन,,नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन करें । श्रीदुर्गा सप्तशती की पुस्तक शुद्ध आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें ।

2- माथे पर भस्म, चंदन या रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिये 4 बार आचमन करें । श्री दुर्गा सप्तशति के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक के पाठ से पहले शापोद्धार करना ज़रूरी है ।
3- दुर्गा सप्तशति का हर मंत्र, ब्रह्मा,वशिष्ठ,विश्वामित्र ने शापित किया है । शापोद्धार के बिना, पाठ का फल नहीं मिलता ।

4- एक दिन में पूरा पाठ न कर सकें, तो एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करे । दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन में अगर पाठ न हो सके, तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें ।

durga saptashati

5- श्रीदुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का नित्य पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय । श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नवारण मंत्र ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना अनिवार्य है ।

6- संस्कृत में श्रीदुर्गा सप्तशती न पढ़ पायें तो हिंदी में करें पाठ । श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ स्पष्ट उच्चारण में करें लेकिन जो़र से न पढ़ें और उतावले न हों ।

7- पाठ नित्य के बाद कन्या पूजन करना अनिवार्य है । श्रीदुर्गा सप्तशति का पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिये । दुर्गा सप्तशति के - पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना ज़रुर करना चाहिये ।

8- श्रीदुर्गा सप्तशती के प्रथम,मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से, सभी मनोकामना पूरी होती है।,इसे महाविद्या क्रम कहते हैं ।

9- दुर्गा सप्तशती के उत्तर,प्रथम और मध्य चरित्र के क्रमानुसार पाठ करने से, शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसे महातंत्री क्रम कहते हैं।

10- देवी पुराण में प्रातकाल पूजन और प्रात में विसर्जन करने को कहा गया है । रात्रि में घट स्थापना वर्जित है ।
              पंडित योगेश पारीक गुवाहाटी असम
                          

Saturday, September 11, 2021

ऋषि पंचमी व्रत कथा Pdf rishi pnchami vart katha Pdf

नमस्कार सभी को ऋषि पंचमी की पावन व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और विशेष माताओं के लिए यह व्रत बताया गया है इस व्रत की पुस्तक प्राप्त करने के लिए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें

Sunday, November 5, 2017

पित्र दोष के लक्षण कारण और उपाय

पंडित योगेशपारीक
पितृ दोष जन्मपत्रिका में जब सूर्य और राहु की नवम भाव में युति हो तो पित्र दोष बनता है वैसे तो पित्र दोष बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्यतः जब सूर्य और राहु की युति किस भाव में हो रही है उससे संबंधित परिवार के संबंधी का पितृदोष माना जाता है जैसे पंचम भाव पुत्र का है और राहु और सूर्य का योग पंचम भाव में बन रहा है तो यह माना जाएगा कि आप के पुत्र  की मृत्यु के पश्चात उसका दोष है इसी प्रकार चतुर्थ भाव में है तो मां का द्वितीय भाव में तो भाई का और इसी प्रकार सब लोगों का ज्ञात किया जाता है
ज्यादा जानकारी और अपनी जन्म कुंडली दिखाने के लिए संपर्क करें योगेश पारीक 9433571794
गुवाहाटी आसाम कामाख्या मंदिर

जब परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उनकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में जातक की कुंडली में झलकता है।

पित्र दोष के लक्षण जब कोई जातक पितृदोष से प्रभावित होता है तो उसके घर में सुख शांति नहीं रहती और पति पत्नी के बीच झगड़ा रहना सास-ससुर से झगड़ा रहना और इससे प्रभावित जातक कि घर में कोई अहमियत नहीं रहती वह सही होने पर भी हमेशा गलत माना जाएगा इस प्रकार के लक्षण पित्र दोष के होते हैं जिस कारण प्रभावित जातक जीवन में अपने पथ पर चलने में कठिनाई होती है

पितृ दोष का उपाय किसी योग्य ब्राह्मण को घर में बुलाकर के गायत्री सवा लाख जप करवाएं और भागवत मूल पाठ और विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ करवाई यह एक सर्वोत्तम तरीका है जिससे थोड़े ही समय में पितृ दोष से निवारण  हो जाता है

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गुवाहाटी आसाम कामाख्या मंदिर

Friday, October 13, 2017

Wednesday, June 15, 2016

कामख्या असम गुवाहाटी अम्बुवासी मेला २०१६ (kamakhya assam guwahati ambuwasi mela 2016)


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कामख्या मैया जी जय

दोस्तों
माताओं बहनों भाइयों
कामख्या शक्ति पीठ जो की असम गुवाहाटी में स्थित है !
ये कामख्या रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किलीमीटर दूर है !
स्टेशन से बाहर निकलते ही आपको टेक्सी मिल जाती है जो लगभग 200 रूपये  में आपको मंदिर पहुंचा देगी ! मध्यम वर्गीय लोग जो बस से जाना चाहे उनके लिए वो स्टेशन से निकल कर मुख्य रोड तक पैदल आकर बस में बेठ कर मंदिर के मुख्य दरवाजे तक पहुँच सकते है बस का भाडा 5 रुपये होता है ! फिर मुख्य दरवाजे से आपको ASTC की बस या यात्री गाड़ी मिल जाएगी जो आपसे 10 रुपये लेगी वो आपको मंदिर के भीतर पहुचादेगी
(मंदिर में शतचंडी, दस महाविद्या अनुष्ठान , महामृत्युंजय अनुष्ठान करवाने के लिए संपर्क सूत्र पंडित योगेश शर्मा (पारीक )
9435571794
http://kamrupkamkhya.blogspot.in/
yogeshpareek18@gmail.com)


रुकने का स्थान 


-- मंदिर प्रांगण में मंदिर की तरफ से भवन बना हुआ है .. जिसमे मुख्यत कमरे बुक रहते है जिसका किराया ५०० रुपये  प्रति दिन है
इसके अलावा आप रहने के लिए पंडित जी के घर में रह सकते है जो प्रति दिन ३००  से ५०० तक मिल जाता है लेकिन नवरात्री और अम्बुवाची  में ये किराया १००० से ३००० तक भी हो सकता है !

 कामख्या पुजारी सिद्धार्थ

 ( संजीब दा) बड पुजारी है +919085200918  इनसे रहने, पूजा, बलि पूजा  के विषय में चर्चा कर सकते है
(मंदिर में शतचंडी, दस महाविद्या अनुष्ठान , महामृत्युंजय अनुष्ठान करवाने के लिए संपर्क सूत्र पंडित

योगेश शर्मा (पारीक )

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दर्शन के समय पूजा की सामग्री -- नारियल सिंदूर दीपक तेल घी अगरबती मोली चुनडी सुहाग पिटारी

अम्बुवाची  मेला २०१६ इस साल प्रति वर्ष के अनुसार  २२ जून से २६ तक रहेगा ! तो आप सभी मेले में भाग लेकर और साधना और दीक्षा ले कर जीवन को सफल बनावे ! अबुवाची ये दुनिया का सबसे बड़ा तांत्रिक मेला होता है इस समय में लोग  गुवाहाटी असम (कामरूप ) कामख्या में आकर साधना करते है !

क्या है अबुवाची

 -- इस समय में माना जाता है की जिस प्रकार प्रत्येक स्त्री को मासिक धर्म रहता है उसी प्रकार माँ कामख्या जो योनी की स्वरूपिणी है उनका भी मासिक धर्म रहता है इस अन्तराल में किया हुआ जप सहस्त्र गुना अधिक फल प्रधान करने वाला होता है  ! इस  समय में मुख्यता तांत्रिक साधने होती है ! इस समय अवधी में मंदिर के कपाट (दरवाजे) बंध रहते है मंदिर के अन्दर प्रवेश निषेध होता है ! मंदिर प्रागंण में लोग साधना करते रहते है २६ को जब कपाट खोले  जाते है पुजारी जी  ( पण्डे ) मंदिर की सफाई करके माँ के रज को साफ करके पूजा आरती बलि आदि देकर भक्तो को दर्शन करवाए जाते है पूजा करवाई जाती है
माता का चीर जो की २२ से २६ तक माता धारण करके रखती है!  उसे प्राप्त करके अगर तिजोरी में रखा जाए तो लक्ष्मी स्थिर हो जाती है रोगी धारण करे तो सरे रोग नष्ट नो जाते है इसके अलावा भी बहुत सारे उपयोग में इसे लिया जाता है
पीठ का जल -- इसको भी घर में रखना चाहिए और किसी भी व्यक्ति जो किसी भी बाधा से ग्रस्त है उससे पिलाया जाए तो सही हो जाता है !

।।साधना करने से पुर्व जानने योग्य बाते ।।


कामख्या भगवती सती के अंग से योनि रूप में प्रगट हुई है। और यह देवी का स्वरूप है । इस लिए इनकी साधना नवरात्री में और अम्बुवाची  विशेष फलदायक है तथा यहा गुवाहाटी असम कामख्या में जून महीने में २२ से २६  माता को रजस्वला दोष आता है देवीपुराण के अनुसार सतयुग में यह पर्व 16 वर्ष में एक बार, द्वापर में 12 वर्ष में एक बार, त्रेता युग में 7 वर्ष में एक बार तथा कलिकाल में प्रत्येक वर्ष जून माह में मनाया जाता है। इसे अम्बूवाची योग पर्व कहते है । जिस कारण इस समय में यहा साधना करना तो बहुत बहुत फलदायक है।

केसे करे साधना

 -- अपने गुरु से प्राप्त कोई भी साधना या मंत्र जप इस समय में किया जा सकता है  इसके अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं कामख्या के बीज़ मंत्र का भी जप किया  जाता है!
(मंदिर में शतचंडी, दस महाविद्या अनुष्ठान , महामृत्युंजय अनुष्ठान करवाने के लिए संपर्क सूत्र पंडित योगेश शर्मा (पारीक )
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साधना के नियम

 -- 1  स्नान 2 मानसिक शुद्धी  3 त्रिकाल संध्या 4 लाल वस्त्र ( साधना के अनुसार वस्त्र  ) 5 गुरु पूजन  फलाहार  6 मोन ( हो सके तो बिना बोले ) 7 फलाहार 8 ब्रहचर्य का पालन

मंदिर में शतचंडी, दस महाविद्या अनुष्ठान , महामृत्युंजय अनुष्ठान करवाने के लिए संपर्क सूत्र पंडित योगेश शर्मा (पारीक )
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जय माँ कामख्या
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कामाख्या शक्तिपीठ पूजन परिक्रमा और इतिहास

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