Skip to main content

Posts

Showing posts from 2014

ऋण विमोचन गणपति स्तोत्र

ऋण मोचन महा गणपति स्तोत्र  लेखसाभार:गुरुत्वज्योतिषपत्रिका विनियोगः- ॐ अस्य श्रीऋण मोचन महा गणपति स्तोत्र मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-...

8/10/2014 को खग्रास चन्द्र ग्रहण

सभी को विशेष सुचना दिनांक 8/10/2014 को खग्रास चन्द्र ग्रहण रहेगा आश्विन शुक्ल पक्ष १५ बुधवार को प्रात: 5 बजकर ५० मिनट को सूतक लगेगा। दोपहर 2 बजकर 10 पर ग्रहण लगेगा ओर सांय६ बजकर १० मिनट ...

Shisha bheru nath stuti

(१) गणपति जी का ध्यान कर ध्यायु शारदा मात। गाऊ प्रार्थना भैरव कि जो है शीशा नाथ ।। (२) भैरव दीन दयाल प्रभु आप हमारे नाथ । जब जब आई विपदा आपने दिया है साथ।। (३) देवी पुत्र श्री भैरव, शिवशंकर अवतार । हनुमत् संग विराजते भद्रकाली के द्वार।। (४)शीशा आपको धाम है मन्दिर अति विशाल । शोभा अति सुहावनी दर्शन ली बलिहार ।। (५) नाथा रा थे नाथ हो भैरव दैव महान । दास आगयो शरण में रखल्यो अपने पास।। (६) भादव की तेरस न मेलो लगे विशाल।पैदल आवे यात्री पाव मन इंछा वरदान।। (७) बावन भैरु बतीस कुल  ध्यावे सकल संसार । मरुधर देश मे शीशा भवन बनाय।। (८) जो गावे भैरव महीमा मनईंछा फल पाय। योगेश ध्याव आपने पुरा किज्यो काज।।#Yogeshpareek18

गोगाजी , गुग्गा, जाहिर वीर जाहर पीर

गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं जिन्हे जहरवीर गोगा जी के नाम से भी जाना जाता है । राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। यहां भादव शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला भरता है। इन्हे हिन्दु और मुस्लिम दोनो पूजते है| वीर गोगाजी गुरुगोरखनाथ के परमशिस्य थे। चौहान वीर गोगाजी का जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ था सिद्ध वीर गोगादेव के जन्मस्थान, जो राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा ददरेवा में स्थित है। जहाँ पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं।कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मत्‍था टेकने और मन्नत माँगने आते हैं। इस तरह यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है।मध्यकालीन महापुरुष गोगाजी हिंदू, मुस्लिम, सिख संप्रदायों की श्रद्घा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौ...

मेरी कविताए

मेरी कविताए 1.मुझे भी मरना है देश के लिए   मुझे भी कुछ करना है देश के लिए   मुझे भी कुछ कहना है देश के लिए   भारत मेरी शान हैं ।   मुझे इस पर अभिमान हैं ।  इसका मुझ पर अधिकार है!  क्योंकि मेरा भारत महान हैं।  भारत माता की जय #YogeshPareek18.  ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- 2.                                                                   (कर्म)    दिया जीवन विधाता ने तु इसको बूझ ना पाया है। य! द रख कर्तव्य सारे अपने तु। तुम्हें अहसान चुकाना है। मान बेठा तु ये केसे यही तेरा ठिकाना है l कई आये कई गये यहाँ कोई टीक ना पाया है। कागज के टुकड़ों मे जीवन हमे न गमाना हे । हमे भेजा बना के दूत हमे सद्भाव बढ़ाना है। कर परोपकार अंत मे यही काम आना है। #YogeshPar...

सभी को योगेश का प्रणाम और कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामना आशा है आप सभी ठीक है, आज हमारे प्रिय और प्यारे कृष्ण का जन्म दिवस है आज के ही दिन गोपाल कृष्ण का जन्म हुआ था

मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में  श्रीकृष्ण  का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है.  इस साल जन्माष्टमी ( Janmashtami ) 17 अगस्त को है. कृष्ण जन्मकथा श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व श्रीवसुदेव के पुत्र रूप में हुआ था. कंस ने अपनी मृत्यु के भय से अपनी बहन  देवकी  और  वसुदेव को कारागार में कैद किया हुआ था. कृष्ण जी जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी. चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था. भगवान के निर्देशानुसार कुष्ण जी को रात में ही मथुरा के कारागार से गोकुल में  नंद बाबा  के घर ले जाया गया. नन्द जी की पत्नी  यशोदा  को एक कन्या हुई थी. वासुदेव  श्रीकृष्ण  को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए. कंस ने उस कन्या को वासुदेव और देवकी की संतान समझ पटकक...

व्रत क्या है। vrat kya hota hai

मैने एक अनुभव किया जो आश्चर्यजनक है। बताने मे थोड़ी शर्म भी महसूस हो रही है। लेकिन यह कोई व्यंग्य भी नहीं है। मेरे एक सवाल उस समय उठा जब तीज के उपवास की बात हो रही थी। तो मैंने किसी माताओं बहनों से पूछा ये उपवास क्यों किया जाता है मुझे जवाब मिला पति की लम्बी उम्र के लिए कुछ समय सोचने के बाद मैंने सबसे पूछा कि तो हमारे मोहल्ले मे ही नहीं बल्कि मेरे जान पहचान या फिर गांव में स्त्री से पहले पुरुष का  स्वर्गवास क्यों हो जाता हैं। जबकि भारतीय नारी पुरे वर्ष भर मे 365 दिन में 100 दिन तो पक्का पति की लम्बी उम्र की कामना करती है। ओर मुझे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि हमारे धर्म में कहीं हुई कोई भी बात  अ सत्य नहीं है। तो कमी कहाँ है ? यह एक दिन का अनुष्ठान होता है जो पति की लम्बी उम्र ओर सुख शांति के लिए किया जाता है है ओर अनुष्ठान का नियम होता है जप तप नियम दान कर्म ओर हा यह सिर्फ माताओं बहनों के लिए नहीं पुरुषो के लिए भी हैं क्योंकि की पति और पत्नी दोनों जिस कार्य को परिणाम देते हैं ओर व्रत के नियम के साथ उस कार्य को हस्तक्षेप करने की शक्ति स्वयं ब्रह्मा जी मे भी नहीं है।  व्...

कजली तीज की कहानी

एक ब्राह्मण था उसकी लड़की की शादी हो गई तो उसका पिता भाद्रपद कृष्ण की काजली तीज को बेटी को सातु ओर सवा हाथ कसुमा भेजा किया करता था लेकिन कुछ समय बाद घर में गरीबी के कारण घर मे बेटी को देने के लिए सातु ओर सवा हाथ कसुमा नहीं था ब्राह्मण साहूकार के पास गया बोला मुझे सातु ओर सवा हाथ कसुमा चाहिए कृपया कर उधार देदो लेकिन साहूकार ने मना कर दिया मना करने पर ब्राह्मण साहूकार की दुकान में  छीप गया ओर रात को सातु ओर सवा हाथ कसुमा निकाल कर साहूकार के सुबह दुकान खोलने का इन्तजार करने लगा ओर अन्दर बेठा "अठ इया बठ बिया आ काजली तीज धुक किया" बोल रहा था रास्ते से गुजर रहे लोगों ने सुना ओर साहूकार को बताया कि तुम्हारी दुकान मे चोर घुस गया साहूकार दुकान गया ओर देखा तो अन्दर तो अन्दर ब्राह्मण बैठा था साहूकार ने ब्राह्मण से कहा तुम चोर हो तो ब्राह्मण ने कहा नहीं देखो मुझे मात्र सातु ओर सवा हाथ कसुमा की जरूरत थी ओर मैंने इतना ही समान निकलना साहूकार को ब्राह्मण की बात पर विश्वास हो गया ओर बोला आज से तुम्हारी बेटी मेरी बेटी साहूकार ने ब्राह्मण को सातु ओर सवा हाथ कसुमा दे दिया ब्राह्मण प्रात: बेटी क...